बात 9 जनवरी 1915 की है। मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका में गोरों के खिलाफ अहिंसा का कामयाब प्रयोग करके भारत लौटे। यही वो दिन है जिसने हमारी आजादी की लड़ाई को न सिर्फ सबसे बड़ा नेता, बल्कि सबसे कारगर हथियार भी दिया। नेता थे- महात्मा गांधी और हथियार- अहिंसा।
ठीक 88 साल बाद 2003 में इस दिन को याद करते हुए पहली बार प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) मनाया गया। मकसद था, देश के विकास में प्रवासी भारतीयों यानी NRIs के योगदान को पहचान देना। उनकी सराहना करना। 2015 से इसके फॉर्मेट में बदलाव किया गया। तब से PBD की थीम तय की जाती है। दिसंबर से तय थीम पर कॉन्फ्रेंस समेत कई कार्यक्रम होते हैं। इस साल प्रवासी भारतीय दिवस की थीम आत्मनिर्भर भारत बनाने में योगदान है।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक 210 देशों में 1.34 करोड़ NRI हैं। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 1.75 करोड़ भारतीय दूसरे देशों में रहते हैं। किसी भी दूसरे देश के मुकाबले अप्रवासियों की यह सबसे बड़ी संख्या है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि दूसरे देशों में रहने के मामले में भारतीय नंबर-1 हैं। आम धारणा के उलट इस मामले में अमेरिका के मुकाबले UAE जैसे मुस्लिम देश भारतीयों की पहली पसंद हैं।
NRI की परिभाषा: ऐसे भारतीय नागरिक जो 183 दिन से ज्यादा दूसरे देशों में रहते हैं। दूसरे शब्दों में जो 182 दिनों से कम भारत में रहते हैं।
भारतीय न केवल तमाम देशों में बतौर प्रवासी रहते हैं, बल्कि वहां के नागरिक भी हैं। ऐसे लोग पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन (PIO) कहलाते हैं। ये लोग भारतीय मूल के वे विदेशी नागरिक हैं, जो या तो खुद कभी भारत के नागरिक थे या उनके माता-पिता, दादा-दादी, पति या पत्नी में से कोई भारतीय नागरिक है या था। इस मामले में भी भारत का कोई सानी नहीं है। दुनिया में 1.87 करोड़ लोग PIO हैं। ऐसे लोग सबसे ज्यादा अमेरिका में हैं। करीब 31.80 लाख भारतीय मूल के लोग अमेरिकी नागरिक हैं। दुनिया में सिर्फ 30 देश ऐसे हैं, जहां भारतीय मूल का कोई नागरिक नहीं है।
विदेशों में रहने वाले NRI हों या भारतीय मूल के विदेशी नागरिक PIO, कुल मिलाकर 3 करोड़ 21 लाख भारतीय दुनिया भर में फैले हुए हैं। ऐसा नहीं कि भारतीय केवल दूसरे देशों में जाकर रहने के मामले में सबसे आगे हैं, वे बाहर रहकर भी दुनिया में अपना नाम रोशन करने में पीछे नहीं।
तो आइये प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर जानते हैं दुनिया भर में फैले भारतीयों से जुड़े दिलचस्प आंकड़े और तथ्य। साथ ही ऐसे NRIs को जिन्होंने बाहर रहकर भी दुनिया में अपने देश का नाम रोशन किया...
दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले NRI
1. अक्षय रूपारेलिया
- भारतीय मूल के अक्षय रूपारेलिया 2017 में ब्रिटेन के सबसे युवा करोड़पति बने। 19 साल के अक्षय की ऑनलाइन कंपनी Doorstep.co.uk महज 16 महीनों के भीतर ब्रिटेन की 18 सबसे बड़ी ऑनलाइन कंपनियों में शामिल हो गई।
2. रोहिंटन मिस्त्री
- मुंबई के जन्मे रोहिंटन मिस्त्री जाने-माने केनेडियन लेखक हैं। रोहिंटन Tales from Firozsha Baag और Such a Long Journey जैसी कई चर्चित किताबें लिख चुके हैं। उन्होंने अपनी बैचलर डिग्री मुंबई के जेवियर कॉलेज से पूरी की। उन्हें अपनी किताबों के लिए गवर्नर जर्नल्स और गिलर जैसे अवाॅर्ड मिले हैं।
3. हरगोविंद खुराना
- भारतीय-अमेरिकी हरगोविंद खुराना नोबल अवॉर्ड से सम्मानित किए जा चुके हैं। साल 1968 में उन्हें यह अवॉर्ड शरीर विज्ञान और चिकित्सा के लिए दिया गया था। पंजाब में जन्मे खुराना ने लिवरपूल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर ए. रॉबर्टसन के अंडर में रिसर्च कर डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की थी।
4. प्रणव मिस्त्री
- मूल रूप से गुजराती 33 साल के प्रणव मिस्त्री सैमसंग में रिसर्च विंग के प्रेसिडेंट और सीईओ हैं। वे सैमसंग थिंक टैंक टीम के मुखिया भी हैं। विश्व आर्थिक मंच ने उन्हें 2013 में यंग ग्लोबल लीडर के रूप में भी सम्मानित किया था।
5. इंदिरा नूई
- वर्तमान समय में इंदिरा नूई पेप्सिको की CEO और चेयरपर्सन हैं। चेन्नई में जन्म लेने वाली नूई विश्व की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में भी शामिल होती रहीं हैं। 2000 में पेप्सिको की CFO बनने के बाद कंपनी की सालाना आमदनी में 72% की बढ़त देखी गई थी।
6. सुंदर पिचाई
- सुंदर पिचाई का जन्म तमिलनाडु के मदुरै में हुआ। वे इस समय गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। वे इस पद पर अक्टूबर 2015 से हैं। IIT खड़गपुर से डिग्री लेने के बाद पिचाई ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से भी पढ़ाई की है।
7. सत्या नडेला
- सत्या नडेला माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के CEO हैं। 19 अगस्त 1967 को हैदराबाद में जन्मे सत्या को 2014 में स्टीव बलेमर की जगह माइक्रोसॉफ्ट का CEO बनाया गया था। माइक्रोसॉफ्ट को क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और सर्विसिस की ओर ले जाने में उनकी खास भूमिका रही है।
8. कल्पना चावला
- हरियाणा के करनाल में जन्मी कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली दूसरी भारतीय महिला थीं। नवंबर 1997 में अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा में उन्होंने करीब 372 घंटे अंतरिक्ष में बिताए थे। दूसरी यात्रा से लौटते हुए 3 फरवरी 2003 को उनका स्पेस शटल कोलंबिया दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें छह दूसरे साथियों के साथ उनकी जान चली गई।
9. नरिंदर सिंह कपानी
- फादर ऑफ फाइबर ऑप्टिक्स कहे जाने वाले प्रोफेसर नरिंदर सिंह कपानी भारतीय मूल के अमेरिकी भौतिक विज्ञानी थे। पंजाब के मोगा में जन्मे प्रो. नरिंदर ने 1956 में फाइबर ऑप्टिक्स का आविष्कार करके दुनिया में क्रांति ला दी। उन्हें 1998 में प्रवासी भारतीय अवॉर्ड दिया गया। दिसंबर 2020 में कैलिफोर्निया में उनका निधन हो गया।
10. सलमान रुश्दी
- भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी का जन्म मुंबई में हुआ था। Satanic verses और Midnight’s Children जैसी किताबें लिख कर चर्चा में आए रुश्दी को बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। Satanic verses के लिए उन्हें ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला रुहोल्ला खोमैनी के फतवे का सामना करना पड़ा था।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar /national/news/pravasi-bharatiya-divas-2021-how-many-indian-nri-in-usa-united-arab-emirates-mauritius-128101178.html
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
WE SHARE YOU THE LATEST NEWS.
YOU CAN COMMENT IN WHAT WAY IT WOULD BE EASIER TO SHARE THE NEWS AND WILL BE MORE COMFORTABLE TO YOU