साल 2020 बीत चुका है, लेकिन कोरोना की वजह से दुनिया और देश को जो चोट मिली, उससे उबरना अभी बाकी है। हम उबर भी रहे हैं। बाजार में हलचल बढ़ रही है, उत्पादन में तेजी आ रही है, फैक्ट्रियां खुल रही हैं और सर्विस सेक्टर अब ट्रैक पर आ रहा है। अब जब इतना सबकुछ हो रहा है तो जाहिर है नौकरियां भी वापस आएंगी और आ भी रही हैं।
CMIE के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोनाकाल में कुल मिलाकर 1.9 करोड़ लोग बेरोजगार हुए। लेकिन, अनलॉक में अबतक 50 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरियां मिल चुकी हैं। CMIE के ही आंकड़े बताते हैं कि 30 जून 2020 को भारत में बेरोजगारी दर 23% पहुंच गई थी, जो 30 दिसंबर को 9.1% रह गई थी। यानी देश में बेरोजगारी दर लॉकडाउन की तुलना में आधी से भी कम हो गई है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि देश में नई नौकरियों के अवसर अब खुलने लगे हैं।
लेकिन, कोरोना के चलते नौकरियों का स्वरूप बदल चुका है। ऐसे में सवाल यह है कि अगर आपको नई जॉब मिल जाए तो, इस बदले हुए वर्क कल्चर में शुरुआती तीन महीनों में किन चीजों पर फोकस करना चाहिए, क्या करें, क्या न करें और किन बातों का ध्यान रखें? नई जॉब ज्वाइन करते हुए हम कई मायनों बहुत एक्साइटेड रहते हैं। हम नए लोगों से मिलते हैं, नई चीजों को सीखते हैं और एक नई टीम का हिस्सा बनते हैं। लेकिन, नई जगह और नए साथियों के बीच अपनी पहचान बनाने के लिए कुछ चीजें बहुत जरूरी हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) दिल्ली के अलावा कॉर्पोरेट दुनिया की कई कंपनियों में HR की भूमिका निभा चुके डॉक्टर उपेंद्र अयोध्या कहते हैं कि अगर जॉब में प्रोग्रेस चाहिए तो चार चीजों पर फोकस करना जरूरी है। सबसे पहले खुद की फिटनेस, जिससे की शारीरिक और मानसिक तौर पर आप फिट रहें। दूसरा इन्फॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन, जो नई जिम्मेदारी और संस्थान को समझने के लिए जरूरी है। तीसरा सेल्फ ग्रोथ और चौथा सेल्फ-रिव्यू जिससे आप खुद का मूल्यांकन कर पाएंगे।
गोल की समझ सबसे ज्यादा जरूरी
नए जॉब जॉइन करने के बाद शुरुआती कुछ दिनों में आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप इस बात पर फोकस करें कि संस्थान आपसे क्या उम्मीद कर रही है? जब आप इस बात पर फोकस करेंगे तो आपको बहुत सी जरूरी जानकारियों मिलेंगी और मनोवैज्ञानिक तौर पर आप संस्थान को समझ पाएंगे। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये बातें किसी भी नए संस्था में ठीक से पैर जमाने के लिए जरूरी हैं।
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खुद की जिम्मेदारियों की समझ सबसे ज्यादा जरूरी है। शुरूआती दिनों में अपनी जिम्मेदारियों से डि-फोकस होना आपके लिए ठीक नहीं है, यह नए संस्थान में आपके प्रति एक गलत धारणा को जन्म दे सकता है।
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शुरूआती परफॉर्मेंस को रिव्यू करते रहना चाहिए। यह भी देखना चाहिए कि आप की तुलना में आपके साथी कैसा काम कर रहे हैं। आप अपने काम को बेहतर बनाने के लिए अपने साथियों की मदद भी ले सकते हैं।
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गोल सेट करना सबसे ज्यादा जरूरी है, एक्सपर्ट्स के मुताबिक हर संस्था आपको टास्क देती है, लेकिन उसे अचीव करने के लिए आपको एक सेल्फ गोल सेट करना चाहिए। इससे किसी भी नई जॉब में आप अच्छा डिलीवर कर पाएंगे।
भरोसा बनाना सबसे जरूरी
दूसरी सबसे जरूरी बात यह कि नए जॉब में जाने के बाद हमें सबसे पहले अपने प्रति लोगों के मन भरोसा यानी ट्रस्ट डेवलप करना होता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक आपको नए संस्थान में जितने ज्यादा मौके मिलेंगे, उतनी ही आपकी ग्रोथ होगी और यह तभी हो पाएगा, जब आपकी संस्था आप पर भरोसा करेगी।
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एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सर्विस सेक्टर में ट्रस्ट सबसे अहम है। आप के प्रति आपकी संस्था और साथी जितना ट्रस्ट रखेंगे, उतना ही आप ग्रो कर पाएंगे। इसके लिए डेडलाइन जैसी बेसिक चीजों को बेहद संजीदगी से फॉलो करना जरूरी है।
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मिस्टेक की दो वजहें होती हैं। पहला- ह्यूमन एरर और दूसरा लापरवाही। शुरूआती दिनों में इस बात पर बेहद फोकस करना चाहिए कि आपसे कोई गलती न हो। अगर गलती हो जाती है तो वह बार-बार रिपीट न हो। शुरूआती दौर में बार-बार गलती करने से या तो आपको अंडर-ट्रेंड मान लिया जाएगा या लापरवाह। इस तरह के पर्सेप्शन आपकी ग्रोथ में एक बड़े बैरियर हो सकते हैं।
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आमतौर पर नई जॉब जॉइन करने के बाद हमें हमारा रोल मिल जाता है। यह जरूरी है कि हम इसे बखूबी निभाएं, लेकिन अपने रोल के साथ आप अगर दूसरी जिम्मेदारियों को ले सकते हैं तो जरूर लें। अपने पार्टिसिपेशन को एक्सपेंड करने से आपकी छवि बेहतर होगी।
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