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गुरुवार, 26 नवंबर 2020

कोरोना और केंद्र ने राज्यों को कर्जदार बनाया; पिछले से इस साल की पहली छमाही का कर्ज 57% बढ़कर 3.82 लाख करोड़ हुआ https://bit.ly/2JgybDL

RBI की ओर से हर महीने जारी होने वाला वित्तीय मामलों से जुड़ा बुलेटिन जारी कर दिया गया है। यह एक तरह की मासिक रिपोर्ट होती है। इसमें दिए जाने वाले आंकड़ों से देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

नवंबर के लिए जारी हुआ यह बुलेटिन इस वित्त वर्ष के दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) से जुड़े कई आंकड़ों को भी समेटे हुए है। RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इस वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में राज्यों ने बाजार से 3 लाख 53 हजार करोड़ का कर्ज लिया है। यह पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) की तुलना में 57% ज्यादा है। साधारण भाषा में समझें तो पिछले साल अप्रैल से सितंबर के बीच देश के सभी राज्यों ने बाजार से 2 लाख 25 हजार करोड़ का कर्ज लिया था। इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 3 लाख 82 हजार करोड़ हो गया है।

अगर हम पिछले वित्त वर्ष की (2019-20) पहली छमाही की तुलना उससे पहले वाले वित्त वर्ष (2018-19) की पहली छमाही से करें तो यह आंकड़ा बढ़ा तो था, लेकिन 43%। यानी इस बार राज्यों को बाजार से ज्यादा ही कर्ज लेना पड़ा।

केंद्र पर राज्यों का डेढ़ लाख करोड़ GST बकाया
RBI के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह कोरोना के कारण पनपी आर्थिक मंदी है। दूसरी वजह राज्यों के हिस्से का बकाया GST है। 19 सितंबर को लोकसभा में वित्त मंत्रालय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार पर राज्यों का 1 लाख 51 हजार करोड़ GST बाकी है। यह बकाया राशि अप्रैल से जुलाई के बीच की है।

हालांकि, केंद्र ने 23 अक्टूबर को 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों को उनके हिस्से का 6 हजार करोड़ रुपए GST वापस कर दिया। सितंबर के बाद से GST बकाया का कोई ऑफिशियल आंकड़ा नहीं आया है। इसलिए सितंबर में आए GST बकाया के कुल आंकड़ों की तुलना राज्यों के कुल कर्ज से करें तो यह बकाया राशि राज्यों के कर्ज की लगभग 40% बैठती है। यानी राज्यों को कर्जदार बनाने में केंद्र ने कोरोना के साथ बराबर की भूमिका निभाई है।

अनलॉक में राज्यों का कर्ज लेना कम हुआ, सितंबर में फिर बढ़ा
इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच में राज्यों ने जितना कर्जा लिया, उसकी तुलना पिछली साल के इन्हें महीनों से करें तो चौकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं। पिछले अप्रैल की तुलना में इस अप्रैल में राज्यों ने 100% ज्यादा यानी दोगुना कर्ज लिया। मई में 116% यानी दोगुने से भी ज्यादा और जून में 62% ज्यादा कर्ज लिया। इन महीनों में लॉकडाउन था।

अब बात करते हैं अनलॉक की महीनों की। पिछले साल जुलाई की तुलना में इस साल जुलाई में राज्यों ने सिर्फ 17% ज्यादा कर्ज लिया। अगस्त में लगभग 25% ज्यादा कर्ज लेकिन सितंबर आते-आते यह आंकड़ा बढ़ कर पिछले सितंबर की तुलना में 70% ज्यादा हो गया।

कोरोना प्रभावित टॉप- 5 राज्यों में महाराष्ट्र ने सबसे ज्यादा तीन गुना कर्ज लिया
कोरोना प्रभावित टॉप 5 राज्यों के इस साल की पहली छमाही में लिए गए कर्ज की तुलना पिछली साल की पहली छमाही से करें, तो भी आंकड़े चौंकाने वाले ही मिलते हैं। महाराष्ट्र ने इस साल की पहली छमाही में पिछले साल की पहली छमाही की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा कर्ज लिया। कर्नाटक ने 6 गुना ज्यादा, आंध्र प्रदेश ने लगभग 50% ज्यादा और तमिलनाडु ने लगभग दोगुना ज्यादा कर्ज लिया है। उत्तरप्रदेश का कर्ज बढ़ने के बजाय थोड़ा घटा है।

टॉप-5 कोरोना प्रभावित राज्यों के कर्ज लेने की वजह बकाया GST भी



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Corona and the Center made the states indebted; Debt on the states increased by 57% from the previous half this year, 3 lakh 82 thousand crore


from Dainik Bhaskar https://bit.ly/3l8wGoG

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